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आओ मुख्यमंत्री बनें vivek kumar sharma

MERA KONA
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आज जब मैं मित्र के घर पहुचा तो मित्र की गृहलक्षमी देखते ही बरसने लगी मैंने अनसुना करते हुए पूछा भाई साहब हैं ? तो बोली बस आप ही की जरूरत और रह गयी थी। बैठें हैं कल से ….
आगे बढ़कर मित्र क पास पहुचा सोचा बिन मौसम बरसात की वजह क्या होगी. सादियों का सीज़न है शायद भाभी को कही किसी शादी मे जाना होगा मायके मे..
देखा तो मित्रवर ने फटे- पुराने कपडो का ढेर लगाया हुआ है। मित्र से पूछा- आज इतनी गर्मी क्यू है?
मित्र- यार वो सब जाने दो.. बीवियाँ तो होती ही ऐसी हैं ये कभी किसी आदमी को कुछ करने देती हैं? सवाल के जवाब मे सवाल सुनकर मैं चुप हो गया की आखिर आज माजरा क्या है.
खोजी दिमाग नही रुका लगा शायद आज पुराने कपडो की धुलाई होनी है ओर उसी संदर्भ में भाभी ने कपडो से पहले मित्रवर की धुला कर दी है . सोचकर बड़ा अचछा लगा . सोचा जले पर नमक डालने का यही मौका है. मैने फिर भी बात आगे बढ़ाई -“फिर भी हुआ क्या है? कौन सा अचीवमेण्ट मिलने से रोक दिया, कौन सी पहाड़ काट कर सड़क बनाने वाले थे जो भाभी ने रोक दिया?”
मित्र- शर्मा जी तुम्हे अभी ये भी नही पता ? क्या फालतू में ही दिन भर 3-3 अखबार चाटते रहते हो? कुछ ध्यान नहीं देते हो। कभी कभी तो ऐसा मौका मिलता है। इतिहास खुद को दोहराता है ये तो जानते ही हो या ये भी नही पता ?
बात कुछ चुभी लगा ये तो अजीब सी बात है. कौन सा सा इतिहास छुट गया।
मै – लेकिन जनाब हुआ क्या है किस इतिहास की बात कर रहे हो. ओर तुम ठहरे इंजिनियर बॅकग्राउंड के तुम्हे कबसे इतिहास भूगोल नजर आने लगा?
मित्र- शर्मा जी, अब समझ आया तुम आज तक वहीं के वहीं क्यू हो, तुम मौका नही पहचान पाते हो तभी तो पीछे रह गये हो, कुछ देश दुनिया की भी अक्ल रखा करो।
मै – अब अगर कुछ बताना है तो बताओ या पहेलियाँ ही बुझाते रहोगे?
तभी भाभी जी का प्रवेश हुआ “अब क्या बताएँगे ये , अब तो नेता बनने का चढ़ा है. भय्या से कहकर बड़ी मुस्किल से तो नौकरी लगवाई थी उसमे भी इस्तीफा दे आये. ” चाय के बजाय तडक भडक सुनने से लगा की ये इंजिनियर हमेशा बेरोजगार ही रहेगा क्या ।
मित्र- शर्मा जी मैने तो पहले ही कहा था बिविया कभी भी पतियों का भला नही चाहती. अब देखो अन्ना जी ने एलान किया है की कालाधन वापस् लाओ. ओर लोकपाल बनाओ . अगर नही बनाया तो 6 महीने बाद फिर से अनशन. मेरी कहो तो शर्मा जी तुम भी कहाँ दस बारह हजार की नौकरी के चक्कर मे पड़े हो. नौकरी छोड़ो और अन्ना जी के साथ हो लो. क्युकी ना तो लोकपाल बनने वाला है ओर ना काला धन आने वाला है.
तो इन सब से हमारा क्या मतलब? नौकरी छोड़ दूंगा तो खाऊंगा क्या?
“तुम अभी भी होलूराम ही हो, देखो सीधा सा मौका है 6 महीने का टाइम है अन्ना जी के साथ हो लेते हैं अनशन में. उसके बाद अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लडेंगे ओर मुख्यमंत्री बनने का रास्ता सॉफ है….”
किस पार्टी से चुनाव लड़ोगे. टिकेट कोनसी पार्टी देगी तुम्हे?
जनता तुम्हे वोट देगी?
“तुम अभी भी नही समझे शर्मा जी. हम क्यू किसी से टिकेट माँगेंगे वो सब तो भ्रस्ट पार्टी हैं। पार्टी बनायंगे अपनी. ” लगा की मित्र ने मैदान जीत लिया।
पैसे हैं पार्टी के खर्चे चलाने के लिये?
पैसो का क्या है पैसे तो आ ही जाएंगे . टिकेट बेच देंगे. बहुत से पैसे वालो की हसरत होती है चुनाव लड़ने की. उनको अपनी पार्टी का टिकेट बेचेंगे.
बरखुरदार ये शोले पिक्चर का टिकेट नही है जो बेच लोगे. ओर वैसे भी अन्ना जी तो पहले ही नही चाहते थे चुनाव लड़ने का. तुम्हे क्यू सपोर्ट करेंगे?”
हमे सपोर्ट तो बस तब तक चाहिए जब तक 2-4 फोटो ना खिच जाये. हम भी अलग हो जाएंगे फिर. वैसे भी आजकल अन्ना जी आराम ज्यादा करते हैं. जब पहले वाले ही नही रुके तो हम क्यू रुकेंगे. एक पत्रकार से भी बात हो गयी है. पहले वो कन्शेस्न रेट में फोटो छापेगा बाद में धंधा चला तो इधर ही आ जायगा.
ओह पूरी प्लानिंग की हुई है. मेरे हर सवाल का जवाब था। सुनकर खीझ गया मैं।
लेकिन ये पुराने कपड़े क्यू उठा रखे है. इन्हे दान कर के फोटो खीचाओगे या कबाडी का कम कर लिया है.
“कलम छाप ही रहोगे, इतना भी नही जानते, अन्ना जी के पाठशाला मे यही तो अस्त्र सस्त्र हैं. जनता से जुड़ना है. यही तो मध्यम है लोगो से जुड़ने का. इन कपडो को ऐसे ऐसे फाड़ना है की फोटो अच्छा आये. 15 मेगा पिक्सल का कॅमरा वाला फोन भी मंगा रहा हूँ फोटो खींचने क लिये। फोटो खींच कर तुरंत, फेशबुक ट्विटर पर डालना है.”
मैं हार गया था दिल जल रहा था की ये प्लान मुझे क्यू नहीं आया । आखिर मेरे मित्र मंडली में मुझसे ज्यादा अक़्लमंद कैसे हो गये ।
“चुनाव जीत गये तो मंत्री कौन बनेगा”
“जिसे मन आएगा उसे बनाऊँगा”
सरकार कैसे चलती है कुछ पता है ?
सरकार तो खुद चलती है, फैसले लेने के लिए हाई कोर्ट सूप्रीम कोर्ट हैं ना …….
और जनता ??
जनता का क्या है ? जनता तो जनता है ? गर्मियों में एक – एक किलो चना, शर्बत फ्री और शर्दियों में 2-2 “मफ्लर फ्री बाट देंगे बस सब खुश… “
और पार्टी का नाम क्या रखोगे ?
“हाँ बस यही तय्यारी करनी बाकी है ……. कोई आम महिलाओ से जुड़ा नाम मिले तो बताना …. आदमी तो पहले ही कॉपी राइट हो गया है। …..”

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