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बदलाव तो होगा….

MERA KONA
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मेरे एक मित्र का कहना है की “कोई भी व्यक्ति तभी तक ईमानदार है जब तक की उसको , कुछ बेईमानी का चान्स नही मिलता, वरना सभी चाहते हैं की कही ना कहीं से कोई एक्सट्रा इनकम हो, कुछ तो पर्सेंटेज मिले….”
आज मैं बात करूँगा उनकी जिन्होने ना केवल खुद को बदला बल्कि दूसरो को भी बदला है…. और साथ ही उनकी भी जो इस बदलाव क दौर मे हैं…….. बात शुरुआत करते हैं उस शख्स से जिसका फोटो हम सभी हिन्दुस्तनिओ के जेब मे होता है. सही पहचाना आपने मैं महात्मा गाँधी की ही बात कर रहा हू. भले ही खुली ज़ुबान से और अधिकारिक रूप से महात्मा गाँधी एक निर्विवादित व्यक्ति थे, पर मैने काफ़ी लोगो के मा में गाँधी जी के प्रति रोष का भाव भी है, बहुत से लोग ऐसे भी मिल जायंगे , वैसे हम ज़्यादातर इंडियन महात्मा गाँधी को एक हिन्दुस्तानी चस्मे से ही देखते हैं. पहले मेरे दिमाग़ में भी कुछ ऐसे ही ग़लतफ़हमियाँ थी, पर जैसे जैसे मैने गाँधी जी को जानने की कोशिश की मेरा विचार बदलते गये. मैने बहुत से लोगो से पूछा की आप गाँधी जी के बारे मे क्या जानते हो. सबका रॅटा रटाया एक ही जवाब “गाँधी जी ने हमारे देश की आज़ादी के आंदोलन मे बहुत योगदान दिया था…….. ’ बहुत कम लोग जानते हैं की महात्मा गाँधी ने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंडन से 1988 मे लॉ की डिग्री बॅरिसटर पास की. पिताजी भी एक हाइ क्लास अफीशियल (दीवान) थे. साधारण सी बात है शुरआत मे वो भी सूटेड बुटेड टाई वाले थे और 1899 तक भी उसी फॉर्म मे थे, जस्ट लीके आन इंग्लीश मान.
आप लोगो से मेरा एक क्वेस्चन “ क्या आप मुझे बता सकते हैं की गाँधी जी जी ने कभी कोई केस लड़ा हो?” मुझे नही लगता आपके पास इसका जवाब है…..
बस यही से सोचना होगा हमे ,,, जब तक गाँधी जी केवल एक बारिस्टेर थे उनको कोई नही जनता था, पर जब से उन्होने खुद को मानवता के लिए सों दिया सारी दुनिया ने उनको जान लिया….. और सभी लोग तो कास्ट कंट्री की बाउंड्री से बँधी नही हो सकते, सो अगर हम उन्हे केवल इंडियन ना माने और विश्वा मानव माने तो शायद सारे सीकवे दूर हो जाएँगे…… अगर ऐसा ना होता तो अमेरिका के प्रेसीडेंट बराक ओबामा अपने पहले भाषण मे ही गाँधी को प्राइयारिटी नही देते……
अब मैं बात करूँगा सुभाष चंद्रा बोस की अच्छी फैमिली से थे, 1918 मे स्कॉटिश चर्च कॉलेज से यूनिवर्सिटी ऑफ कॅल्कटा से अपनी ग्रेजुएशन की . और अपने फर्स्ट अटेंप्ट मे ही वो परीक्षा पास की जो आज भी सर्वोच्च है और तब भी सर्वोच्च थी. अगर सुभाष चंद्रा बोस चाहते तो आराम से लाइफ काट सकते थे पर कितने लोग जान पाते उनको. कितने IAS आए और चले गये ……. लेकिन हमने उनको कब जाना जब उन्होने जॉब नही की, तब नही जब की वो IAS थे I
अब मैं बात करूँगा अन्ना आंदोलन के जनरल की , अरविंद केजरीवाल. आज शायद सभी लोग उनको जानते हैं,, लेकिन जब तक वो इनकम टॅक्स कमिशनर थे क्या हम उन्हे जानते थे, नही ना… कब जाना जब परिवर्तन हुआ…… ये श्री मान जी भी चाहते तो आराम से अपने बंगला मे रहते रात को बेड पर सोते, इनको क्या ज़रूरत थी की रात में रेलवे स्टेशन पर भटके प्लॅटफॉर्म पर सोए….. उन लोगो के लिए लड़े जो इस लेख को पढ़ रहे हैं…….
21वी सदी नारी सदी है. ये आपको भी मानना पड़ेगा . ज़्यादा उदाहरण तो नही दूँगा. बस एक ही काफ़ी है छवि राजावत का…. दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज और पुणे के मॅनेज्मेंट इन्स्टिट्यूट से पढ़ाई की, कार्पोरेट मे जॉब भी की. अच्छी सेलरी. …. उसके बाद भी जॉब छोड़कर कर अपने गाव की सरपंच बनी और पूरी दुनिया में छा गये…..
जॉब तो आज भी ना जाने कितनी छवि कर र्ही हैं कितने ही इनकम टॅक्स के कमिशनर हैं…… सरपंच भी हर ग्राम पंचायत में हैं, कितने ही वक़ील और ईयेज़ भी हो गये… लेकिन ये बात तो कही नही देखी. ये सभी लोग जब तक अपनी पहली लाइफ मे थे कोई प्रोबलम नही थी ज्यो ही ये बदले इनकी लाइफ मे प्रॉब्लम्स स्टार्ट हो गयी… लेकिन ये लेकिन ये फिर भी डटे हुए हैं अपना सुख चैन छोड्कर….
सीधी सी बात है बदलाव. बदलना तो पड़ेगा ही, चाहे आज बदल जाइयगा या कल….. मैं आपसे आपकी जॉब छोड़ने के लिए नही कह रहा हू. किसको कहाँ बदलना है ये हमको ही सोचना है….. तो आप कब बदलेंगे……

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